Friday, December 10, 2021

किशोर गीता-6 मध्य मार्ग व भाव की प्रमुखता

 

2 comments:

  1. छोटे शब्दो मे अति सवऀत वजऀयेत जहां तक योग साधना का पश्न है वह एक हजार मेसे एक ही आदमी निकलेगा संसार मे रहकर भी जो अपने कतऀव्य पूरा करके संयम से रहता वह भी योगी कहलाता जैसे चिकू (फल) बीज उसके अंदर रहता है पर उसमे लपेटा नही जाता स्वच्छ रहता है ।श्रीमती संगीता सुपेकर

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  2. बहुत बढ़िया है ।कमेंट्स ब्लाक में लिखा था पर रजिस्टर् नहीं होता तर्कपू्र्ण भाषा,सहज,सुलभ ।कछुए का उदाहरण सुंदर है और “सेवन एवं भोग “का अंतर सटीक है ।बहुत अच्छा लगा । Kishori Tai Dange

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